Sunday, February 8, 2015

आपको याद तो होगा न ?


सरस्वती पूजा से एक दिन पहले मंडप की सजावट करते हुए ,रात भर लाउडस्पीकर पर गाने बजाये जाते थे ! हमारे समय में तो जनवरी सेशन होता था यानी कि जनवरी में नयी क्लास में जाते थे ! सरस्वती पूजा तक शायद ही किसी स्कूल में ढंग से पढाई शुरू होती हो ! पूरा स्कूल ही वसंत-पंचमी की तैयारियों में संलग्न होता था ! तब हर घर से दो दो रुपये के चंदे जमा करते थे , मूर्ति लाना ,प्रसाद बनाना सबकुछ उन पैसों में ही हो जाता था ! सबलोग अपनी अपनी माँ की रंग-बिरंगी साड़ियाँ लाते और उनसे ही सजावट करते ! लाल -पीले कागज़ के तोरण बनाए जाते ! शाम से ही सरस्वती जी के सामने अपनी अपनी कला का प्रदर्शन शुरू हो जाता ! संगीत-नृत्य -नाटक का रंगारंग कार्यक्रम होता ! रात में ही कठिन विषय वाली किताबें सरस्वती जी के आस-पास रख देते थे कि शायद उसमें थोड़ी विद्या आ जाए और उस कठिन विषय को आसान बना जाए ! ज्यादातर लडकियां उस दिन साड़ी पहनती ! हफ़्तों पहले ,माँ-मौसी-चाची या फिर पड़ोस वाली आंटी की साड़ियों में से पीले रंग की साड़ियों की चयन-प्रक्रिया शुरू हो जाती थी !

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