Friday, August 8, 2014

राज़ की बात

कमाल का शख्स था जिसने मेरी जिंदगी तबाह कर दी 
राज़ की बात तो ये है की दिल उससे खफा अब भी नहीं 

गवाई

यादो की शमा जब बुझती दिखाई देगी

तेरी हर साँस मेरे वजूद की गवाई देगी

तुम अपने अन्दर का शोर कम करो

मेरी हर आहट तुम्हे सुनाई देगी

न जीत सके

बेपनाह मोहब्बत से भी हम 
जिसको न जीत सके ........
किसी खुशनशीब ने उसे अपनी 
बेरुखी से ही पा लिया ...

आँखों

हम न जीत सके वो ऐसी शर्त लगाने लगे ,
प्यारी सी आँखों को हमारी आँखों से लड़ाने लगे ,
जीत जातें पर पलक हमने झपका ली ,
क्युकी उनकी प्यारी सी आँखों से आंसू आने लगे 

गम दे गया

वो कितना मेहरबान था हज़ारो गम दे गया "जय"   ...
और हम कितने खुदगर्ज़ निकले कुछ न दे सके " मुहब्बत " के सिवा ...

जान

उसे कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त किया करे , .........बेशक साँसें उसकी हैं मगर जान तो वो हमारी है

भूल जायेंगे तुम्हे

भूल जायेंगे तुम्हे यह वादा है तुमसे ....जिस्म से सांस का ज़रा रिश्ता तो टूट जाने दो ....

मैं बेवफा निकलूँ

अब के साल एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है की ,
कोई टूट के चाहे और मैं बेवफा निकलूँ ..

प्यार नहीं होता

अब तो किसी भी बात पे,ऐतबार नहीं होता
होते हैं बस समझौते दिलों के,कोई प्यार नहीं होता
कितना भी समझा लें हम,इस दिल-ए-नादान को
एक क़तरा कभी,कोई सागर नहीं होता
दिल में लिये हसरत किसी की,ये उम्र गुज़र जाती है
के तक़दीर पे किसी की अपनी,इख्तियार नहीं होता
लगते हैं जो पल सुहाने,वो हैं मेरे बस ख्वाबों के
हकीक़त में कभी ख़ुशी का,दीदार नहीं होता
ढल जाते हैं ये अश्क,एक और ग़म की राह लिये
इन होंठों को अब किसी हंसी का,इंतज़ार नहीं होता


आस्था का जिस्म

आस्था का जिस्म घायल , रूह तक बेजार है 
क्या करे कोई दुआ जब देवता बीमार है 
खूबसूरत जिस्म हो या सौ टका ईमान हो 
बेचने की ठान लो तो हर तरफ बाज़ार है

चुप रहना भी मोहब्बत है

दर्द उल्फत सहना भी मोहब्बत है,
किसी से दूर रहना भी मोहब्बत है,
दिल की हर बात जुबान से केहना ज़रुरी नहीं,
किसी की याद में चुप रहना भी मोहब्बत है...!!

तीन लफ़्ज़ों की हिफाज़त

उनको अपने हाल का हिसाब का देते "सवाल सारे गलत थे जवाब क्या देते "
वो तीन लफ़्ज़ों की हिफाज़त ना कर सके "उनके हाथ में जिंदगी की पूरी किताब का देते"

तकदीर

हमें उनसे कोई शिकायत नहीं, शायद हमारी किसमत में ही चाहत नहीं !!
मेरी तकदीर को लिख कर तो ऊपर वाला भी मुकर गया, पूछा तो कह दिया की ये मेरी लिखावट नहीं !!

ज़ख्म

ज़ख्म जब मेरे सीने के भर जाएंगे, आंसू भी मोती बनकर बिखर जाएंगे,

ये न पूछना किस किस ने दर्द दिया, वरना कुछ अपनों के भी चेहरे उतर जाएंगे !