Sunday, February 8, 2015

दामोदर नदी तट पे पिकनिक के दौरान मस्ती करते ली गई यह क्लिक !!



#‎दैनिक_जागरण‬
छाया : जयशरण पुरी, भंडारीदह

मिलती अगर एक दिन की बादशाही मुझे

मिलती अगर एक दिन की बादशाही मुझे अगर ऐ मेरे दोस्त !
___अपनी रियासत में तेरे नाम के सिक्के चला देता…..!!

आपको याद तो होगा न ?


सरस्वती पूजा से एक दिन पहले मंडप की सजावट करते हुए ,रात भर लाउडस्पीकर पर गाने बजाये जाते थे ! हमारे समय में तो जनवरी सेशन होता था यानी कि जनवरी में नयी क्लास में जाते थे ! सरस्वती पूजा तक शायद ही किसी स्कूल में ढंग से पढाई शुरू होती हो ! पूरा स्कूल ही वसंत-पंचमी की तैयारियों में संलग्न होता था ! तब हर घर से दो दो रुपये के चंदे जमा करते थे , मूर्ति लाना ,प्रसाद बनाना सबकुछ उन पैसों में ही हो जाता था ! सबलोग अपनी अपनी माँ की रंग-बिरंगी साड़ियाँ लाते और उनसे ही सजावट करते ! लाल -पीले कागज़ के तोरण बनाए जाते ! शाम से ही सरस्वती जी के सामने अपनी अपनी कला का प्रदर्शन शुरू हो जाता ! संगीत-नृत्य -नाटक का रंगारंग कार्यक्रम होता ! रात में ही कठिन विषय वाली किताबें सरस्वती जी के आस-पास रख देते थे कि शायद उसमें थोड़ी विद्या आ जाए और उस कठिन विषय को आसान बना जाए ! ज्यादातर लडकियां उस दिन साड़ी पहनती ! हफ़्तों पहले ,माँ-मौसी-चाची या फिर पड़ोस वाली आंटी की साड़ियों में से पीले रंग की साड़ियों की चयन-प्रक्रिया शुरू हो जाती थी !

"दैनिक जागरण" की और से सम्मानित

"दैनिक जागरण" धनबाद के समाचार संपादक भारतीय बसंत कुमार जी की उपस्थिति में बोकारो स्थित हंस रिजेंसी सभागार में यूनिट के एजीएम दिलावर साहू जी ने अंतर्राष्टीय पटल पर चर्चित मेरी खबर व तस्वीर के लिए गले मिलकर बधाई दी तथा अपने हाथों से मुझे पुरुस्कार देकर सम्मानित किया ! यह मेरे लिए हर्ष और शौभाग्य है !! इस दौरान हमारे बोकारो प्रभारी बी के पाण्डेय जी, क्राइम रिपोर्टर अरविंद जी, बेरमो प्रभारी सत्येन्द्र सिंह जी सहित बोकारो-बेरमो के सभी साथी पत्रकार मौजूद थे !
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_____गत 14 अगस्त 2012 को राजाबेड़ा स्थित दामोदर नदी में प्रशासन व सैकड़ों ग्रामीणों के देखते ही देखते लम्हों ने दो जिन्दगी को लील लिया, काल ने किसी को मौका नहीं दिया। मौत के आगे बेबस युवक-युवती सबके सामने बह गये । बोकारो जिले के बालीडीह थाना क्षेत्र के पुरन व सोमती तेनुघाट डैम का फाटक खोले जाने से पानी के बहाव में फंसकर दोनों घंटो जिन्दगी से जूझते हुए लहरों में समाँ गए। अंतर्राष्टीय पटल पर चर्चित इस घटना के बीते तीन साल हो गए, मगर आज भी लोग उस लम्हें को याद कर सिहर उठते हैं।

Friday, August 8, 2014

राज़ की बात

कमाल का शख्स था जिसने मेरी जिंदगी तबाह कर दी 
राज़ की बात तो ये है की दिल उससे खफा अब भी नहीं 

गवाई

यादो की शमा जब बुझती दिखाई देगी

तेरी हर साँस मेरे वजूद की गवाई देगी

तुम अपने अन्दर का शोर कम करो

मेरी हर आहट तुम्हे सुनाई देगी